राष्‍ट्रीय वनस्‍पति स्‍वास्‍थ्‍य प्रबंधन संस्‍थान(रावस्‍वाप्रसं) की स्‍थापना की पृष्‍ठभूमि


केंद्रीय पौध संरक्षण प्रशिक्षण संस्थान (सीपीपीटीआई) वर्ष1966 में पौध संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के तहत पौध संरक्षण प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मानव संसाधन विकास हेतु स्थापित किया गया था। संस्थान का प्रमुख उद्देश्य राज्यों/संघशासित क्षेत्रों के कृषि विभागों और केंद्र सरकार में सुयोग्य पीड़क प्रबंधन कर्मी तैयार करना था, जो कृषकों को कृषि-संबंधी अनिवार्य प्रशिक्षण प्रदान कर सकें। पौध संरक्षण संबंधी विभिन्‍न पहलूओं पर मानव संसाधन विकास के दृष्‍टिकोण से दीर्घ एवं लघु प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का आयोजन करने की जिम्‍मेदारी इस संस्‍थान को सौंपी गई है। सन् 1974 में संस्‍थान को गतिविधियों के लिए तब प्रोत्‍साहन मिला, जब संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की अन्‍तर्राष्‍ट्रीय सहायता से संस्‍थान को विकसित करने के लिए यूएनडीपी परियोजना के तहत् वर्ष 1974 से 1980 के दौरान अधिक से अधिक प्रभावी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के उद्देश्‍य से 1.3 मिलियन डॉलर की वित्‍तीय सहायता प्रदान की गई। वर्षों के बाद संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ के एफएओ द्वारा संस्‍थान को क्षेत्रीय प्रशिक्षण केन्‍द्र के तौर पर मान्‍यता प्राप्‍त हुई एवं साथ ही विश्‍व बैंक सहायता प्राप्‍त राष्‍ट्रीय कृषि विस्‍तार परियोजना-III के अन्‍तर्गत पौध संरक्षण प्रौद्योगिकी में उत्‍कृष्‍ट प्रशिक्षण केन्‍द्र के रूप में भी पहचान मिली है। ‘देश में पीड़क प्रबंधन दृष्‍टिकोण की मजबूतीकरण एवं आधुनिकीकरण’ चलाये जा रही स्‍कीम के घटकों में राष्‍ट्रीय पौध संरक्षण प्रशिक्षण संस्‍थान उनमें से एक था, जो बारहवीं पंचवर्षवीं योजना में लगातार जारी है।

रावस्‍वाप्रसं(एनआईपीएचएम) का पंजीकरण

संस्‍थान को एक स्‍वायत्‍त निकाय ‘राष्‍ट्रीय वनस्‍पति स्‍वास्‍थ्‍य प्रबंधन संस्‍थान’ के रूप में 24 अक्‍टूबर, 2008 में हैदराबाद स्‍थित पंजीकार सोसायटी के कार्यालय, जिला रंगारेड्डी में आंध्रप्रदेश सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 2001 (2001 के अधिनियम सं.35) के अन्‍तर्गत (पंजीकरण सं.1444, 2008) पंजीकृत किया गया।

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