लक्ष्य और उद्देश्य

उद्देश्य

    क. पौध संरक्षण प्रौद्योगिकी, वनस्‍पति संगरोध एवं जैवसुरक्षा, फसल आधारित समेकित पीड़क प्रबंधन ओर पीड़कनाशी गुणवत्‍ता परीक्षण तथा निगरानी हेतु पीड़कनाशी अवशेष विश्‍लेषण आदि व अन्‍य संबंधित क्षेत्रों में कार्यरत सार्वजनिक तथा निजी दोनों क्षेत्रों में मानव संसाधन का विकास करना।
    ख. वनस्पति संरक्षण प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्‍धि वाले राज्‍य, क्षेत्रीय, राष्‍ट्रीय एवं अन्‍तर्राष्‍ट्रीय संस्‍थानों के बीच सुव्‍यवस्‍थित एवं सुनियोजित संपर्क विकसित करना। ।
    ग. पौध संरक्षण प्रौद्योगिकी पर नवीनतम सूचनाओं के आदान-प्रदान करने हेतु केंद्रक(नोडल) एजेंसी/फोरम रूप में कार्य करना।
    घ. पौध संरक्षण प्रौद्योगिकी पर सूचना एकत्रित करना और इसे व्यवस्थित कर राज्य विस्तार कर्मियों और किसानों के बीच प्रचार-प्रसार करना।
    ङ. समस्या-समाधान तरीके से आधुनिक प्रबंध तकनीक पहचानना, मूल्‍यांकन करना और विकसित करना तथा इसका उपयोग कार्मिक प्रबंधन, संसाधन प्रबंधन, आदान(इनपुट) प्रबंधन में करना तथा अंतत: संगठनात्मक स्तर पर आक्रमण प्रबंधन हेतु करना।
    च. आवश्‍यकतानुसार फील्‍ड कार्यक्रमों का आयोजन करना एवं वरिष्‍ठ तथा मध्यम स्तर के पदाधिकारियों हेतु प्रशिक्षण पादप संरक्षण कार्यक्रमों के निष्‍पादन हेतु पुन:प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना। कार्यक्रमों की अधिकतम पहुंच सुनिश्चित करने के लिए ‘प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण’ तरीका अपनाना।
    छ. प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर प्रतिपुष्टि(फीडबैक) के लिए वनस्पति संरक्षण, एकीकृत पीड़क प्रबंधन, पीड़कनाशीप्रबंधन, वनस्पति संगरोध तथा पीड़कनाशी वितरण प्रणालियों व अवशेषों के क्षेत्र में उन्‍मुख आधारित अनुसंधान कार्यक्रम का आयोजन करना।
    ज. वनस्‍पति संरक्षण प्रबंधन विषय से संबंधित विचारों का संग्रह करना तथा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संचार विकसित करना एवं प्रलेखीकरण करना।
    झ. राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ संपर्क स्थापित करना और संस्थागत सहयोग एवं रोजगार के परामर्शदाताओं के कार्यक्रम के माध्यम से ज्ञान व जानकारियों का साझा करने हेतु नेटवर्क सृजन करना।
    ञ. वनस्‍पति संरक्षण के विभिन्‍न क्षेत्र पारस्‍परिक आईपीएम, पीड़कनाशीप्रबंधन, वनस्पति संगरोध, जैव-सुरक्षा, स्वच्छता एवं पादपस्वच्छता (एसपीएस) तथा बाज़ार में पहुंच आदि मुद्दों पर नीति सहयोग केन्‍द्र सरकार के रूप में कार्य करना।

    मिशन

    राष्‍ट्रीय वनस्‍पति स्‍वास्‍थ्‍य प्रबंधन संस्‍थान की मुख्‍य भुमिका विस्‍तारण के क्षेत्र में प्रशिक्षण एवं अनुकूलनीय अनुसंधान केन्‍द्र एवं वनस्‍पति संरक्षण से संबंधित नीति विकास के जरिए मौजूदा पीड़क एवं रोग निगरानी तथा नियंत्रण प्रणाली, प्रमाणीकरण, मान्यता प्रणालियों की कुशलता में बढ़ोत्‍तरी कर राज्‍यों एवं भारत सरकार का सहयोग करना मुख्‍य लक्ष्‍य है। रावस्‍वाप्रसं सरकारी एवं निजी दोनों क्षेत्रों में संस्‍थानों के लिए अपनी सेवाएं प्रदान करती हैं।

    पारंपरिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अलावा एनआईपीएचएम वनस्‍पति स्‍वास्‍थ्‍य एवं संगरोध क्षेत्र में परियोजनाएं, क्षमता वर्धन एवं अध्‍यापन सहित वृद्धिसंभावना वाले विपणन एवं एसपीएस करार से संबंधित अन्‍य पहलूओं पर कार्यों का भी निष्‍पादन करता हूं।

    संस्‍थान को पड़ोसी देशों में क्षमता वर्धन के लिए उनके क्षेत्रों में वनस्‍पति संरक्षण एवं संगरोध क्षमता हेतु एक प्रमुख केन्‍द्र के तौर पर अन्‍तर्राष्‍ट्रीय भूमिका के रूप में विकसित करना है। क्षेत्रीय भूमिका में संस्‍थान का ध्‍यान अन्‍य देशों के क्षेत्रों से आये छात्रों को अधिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को आयोजन के बजाय प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण देने पर केन्‍द्रित है। यह संभव है कि इस तरह के दृष्‍टिकोणों को अपनाये जाने से वे अन्‍तर्राष्‍ट्रीय एवं अन्‍तर्सरकारी संस्‍थाएं आकर्षित होंगे, जिनका लक्ष्‍य क्षेत्र के भीतर फॉस्‍टर संवर्धित जैवसुरक्षा रहा है।

    अक्‍टूबर, 2008 से स्‍वायत्‍त संस्‍थान के रूप में रावस्‍वाप्रसं के मुख्‍य क्रियाकलाप

    कृषक वर्गों एवं केन्‍द्रीय, राज्‍य/संघ प्रदेशों/सार्वजनिक/निजी क्षेत्रों एवं अन्‍य गैर-सरकारी संगठनों के विस्‍तारकर्मियों में वनस्‍पति संरक्षण प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाना एवं वनस्‍पति संरक्षण हेतु दीर्घ एवं लघु अवधि वाले प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का आयोजन करना।

    ग्यारहवीं पंचवर्षीय अवधि के दौरान 25 ऑफ-कैम्‍पस प्रशिक्षण कार्यक्रम सहित कुल 220 दीर्घ एवं लघु अवधि प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना निर्धारित है। एकीकृत पीड़क प्रबंधन, वनस्‍पति संगरोध, एसपीएस मुद्दे आदि विषयों के क्षेत्र में बेहतर एवं उन्‍नत वनस्‍पति संरक्षण को अपनाने हेतु पूरे पॉंच वर्ष की अवधि के दौरान कुल 4350 कर्मियों (राज्‍य एवं निजी क्षेत्र दोनों) को प्रशिक्षक के तौर पर प्रशिक्षण देने का लक्ष्‍य है। प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण देने बहुगुणात्‍मक परिणाम है, जैसे कि प्रतिवर्ष 04 कृषक फील्‍ड स्‍कूलों के जरिए फील्‍ड प्रशिक्षण गतिविधियों में नियुक्‍त प्रत्‍येक प्रशिक्षित प्रतिवर्ष 100 कृषकों को इसी तरह प्रशिक्षण देगा।

    मूलत: फील्‍ड क्षेत्र में नई तकनीकों को अपनाकर लाभ प्राप्‍त करना अर्थात् गुणवत्‍ता सहित उत्‍पादन में बढ़ोत्‍तरी करना(न्‍यूनतम पीड़कनाशी अवशेष स्‍तर पर) एवं पीड़कनाशी जैसे कीमती सामग्री के बदले उपयुक्‍त सामग्रियों का इस्‍तेमाल करने पर वातावरण में पीड़कनाशी प्रभाव को कम करना एवं कृषकों की आमदनी में बढ़ोत्‍तरी करना है।

    फील्‍ड में पारंपरिक क्षमता निर्माण प्रयासों के अलावा संस्‍थान को एनआईपीएचएम के रूप में पुनर्विन्‍यास कर वनस्‍पति संगरोध के लिए पीड़क निगरानी एवं उन्‍नत तकनीकों को जोरदार बढ़ावा देते हुए भारतीय कृषि क्षेत्र को व्‍यापारिक सामग्रियों के लिए अन्‍तर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर सक्षम प्रतिस्‍पर्धी बनाना महत्‍वपूर्ण है। उत्‍कृष्‍ठ अन्‍तर्राष्‍ट्रीय केन्‍द्र के रूप में बराबर की सक्रिय भूमिका निभाते हुए क्षेत्र के अंदर जैवसुरक्षा से संबंधित वनस्‍पति में सहयोग करना है। द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय व्‍यवसाय संबंधित विषयों पर तकनीकी सलाह एवं मागदर्शन करने के साथ-साथ यह प्रशिक्षण एवं परामर्शी कार्य वरिष्‍ठ अधिकारियों को सौंपे गए राष्‍ट्रीय वनस्‍पति संरक्षण से संबंधित कार्यों की क्षमता में महत्‍वपूर्ण सुधार लाना है।

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